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बंद पड़े EPF खाते से कैसे निकलेगा पैसा? जानिए क्या है EPFO का 7 साल का नियम

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EPFO ने अब एक ही पीएफ अकाउंट को जारी रखना का विकल्प दे दिया है. अब कर्मचारी को नई कंपनी ज्वाइन करने पर पुराना PF नंबर ही देना होगा. ऐसे में कोई भी पीएफ खाता इनऑपरेटिव नहीं रहेगा.

कोरोना वायरस (Coronavirus) के चलते लॉकडाउन (Lockdown) की स्थिति है. लगभग सभी लोग खासकर प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारी घर से काम कर रहे हैं. घर पर रहने का कई फायदे हैं. फ्री टाइम में आप अपने रुके हुए काम निपटा सकते हैं. इनमें एक बड़ा महत्वपूर्ण काम है. अपने पैसों से जुड़े रुके हुए काम को इस वक्त में निपटा लें. आज ऐसा ही एक काम हम आपको बता रहे हैं, जिसकी आपकी समस्या दूर हो जाएगी.

प्रोविडेंट फंड को लेकर रिटायरमेंट प्लानिंग कर रहे हैं तो EPFO के नियम जानने बहुत जरूरी हैं. नियम नहीं पता होने की स्थिति में आपको नुकसान हो सकता है. ऐसा कई लोगों के साथ होता है कि अलग-अलग संस्थानों में काम करने के दौरान अलग-अलग पीएफ अकाउंट हो जाते हैं. इसकी वजह से पुराना पीएफ अकाउंट इन-ऑपरेटिव हो जाता है.



हालांकि, EPFO ने अब एक ही पीएफ अकाउंट को जारी रखना का विकल्प दे दिया है. अब कर्मचारी को नई कंपनी ज्वाइन करने पर पुराना PF नंबर ही देना होगा. ऐसे में कोई भी पीएफ खाता इनऑपरेटिव नहीं रहेगा. इस परिस्थिति में भी पुराना पीएफ अकाउंट इन-ऑपरेटिव हो जाता है.

तुरन्त करें खाते की रकम ट्रांसफर
इन-ऑपरेटिव अकाउंट को ट्रैक करना थोड़ा मुश्किल होता है, लेकिन नामुमकिन नहीं. ऑनलाइन इसे ट्रैक किया जा सकता है. अकाउंट ट्रैक होने पर इसमें जमा राशि को ट्रांसफर किया जा सकता है या फिर निकाला भी जा सकता है.

कौन से अकाउंट होते हैं इन-ऑपरेटिव?
इन-ऑपरेटिव अकाउंट उन अकाउंट्स को माना जाता है, जिनमें तीन साल (36 महीने) से कोई ट्रांजेक्शन नहीं हुआ है. मतलब कर्मचारी या कंपनी की तरफ से कोई अंशदान जमा नहीं किया गया है. 1 अप्रैल 2011 के बाद से सरकार ने ऐसे अकाउंट में जमा राशि पर इंट्रेस्ट देना बंद कर दिया था. हालांकि, 2016 में इस फैसले को वापस ले लिया गया और अब बंद खातों पर भी ब्याज मिलता है. वहीं, नियम के मुताबिक अगर इन-ऑपरेटिव अकाउंट पर 7 साल तक कोई दावा नहीं किया गया तो सरकार इसे सिनियर सिटिजन के लिए वेलफेयर फंड में डाल देती है.



क्या कहता है 7-साल का नियम?
पीएफ खाते के निष्क्रिय होने पर जिस रकम पर क्लेम नहीं किया जाता है, वह ‘सीनियर सिटीजंस वेलफेयर फंड’ में चली जाती है. नियमों के अनुसार, बिना दावे वाली रकम को खाते के 7 साल तक निष्क्रिय रहने पर सीनियर सीटीजन वेलफेयर फंड में ट्रांसफर करना है. यहां तक कि EPF एंड MP एक्ट, 1952 की धारा 17 से छूट पाने वाले ट्रस्ट भी सीनियर सिटीजंस वेलफेयर फंड के नियमों के दायरे में आते हैं. इन्हें भी नियमों के अनुसार खाते की रकम को वेलफेयर फंड में ट्रांसफर करना होता है.



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कैसे ट्रेस करें अपना अकाउंट?
पहले पीएफ की वेबसाइट www.epfindia.gov.in पर जाएं. यहां इन-ऑपरेटिव अकाउंट हेल्पडेस्क ऑप्शन को चुनना है. शिकायत बॉक्स में अपनी समस्या के बारे में पूरी जानकारी देनी है. बाद में आपसे निजी जानकारी मांगी जाएगी. नाम, मोबाइल नंबर, ईमेल आईडी, जन्मदिन, पति या पिता का नाम, एंप्लॉयर नेम भरना होगा. इन तमाम जानकारी की मदद से आपका अकाउंट आसानी से ट्रेस हो सकता है. अकाउंट ट्रेस होने के बाद फंड निकाला जा सकता है या ट्रांसफर किया जा सकता है.

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पैसा ट्रांसफर करने के लिए फोलो करें स्टेप्स

  • UAN नंबर और पासवर्ड से अपना EPF अकाउंट लॉग-इन करें.
  • पेज पर ऊपर दिए गए टैब में से Online Services में जाएं.
  • ड्रॉप डाउन में One Member-One EPF Account Transfer Request’ ऑप्शन को सलेक्ट करें.
  • UAN नंबर डालें या अपनी पुरानी EPF मेंबर आईडी डालें. आपकी अकाउंट डिटेल्स आपके सामने होंगी.
  • यहां ट्रांसफर वैलिडेट करने के लिए अपनी पुरानी या नई कंपनी को सलेक्ट करें.
  • अब पुराना अकाउंट सलेक्ट करें और ओटीपी (OTP) जेनरेट करें.
  • ओटीपी एंटर करने के बाद आपकी कंपनी को ऑनलाइन मनी ट्रांसफर प्रोसेस का रिक्वेस्ट चला जाएगा.
  • अगले तीन दिन में यह प्रोसेस पूरा होगा. पहले कंपनी इसे ट्रांसफर करेगी. फिर EPFO का फील्ड ऑफिसर इसे वेरिफाई करेगा.
  • EPFO ऑफिसर की वेरिफिकेशन के बाद ही पैसा आपके खाते में ट्रांसफर होगा.
  • ट्रांसफर रिक्वेस्ट पूरी हुई या नहीं इसके लिए आप स्टेटस को Track Claim Status में ट्रैक कर सकते हैं.
  • ऑफलाइन ट्रांसफर के लिए आपको फॉर्म 13 भरकर अपनी पुरानी कंपनी या नई कंपनी को देना होगा.
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