नई दिल्ली।: वित्त मंत्रालय ने सरकारी बैंकों को आदेश दिया है कि डिफाल्टर्स के पर्सनल गारन्टरर्स से बकाया पैसों की वसूली की जाए। इस आदेश के बाद स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने डिफाल्टर्स की लिस्ट तैयार करनी शुरु कर दी है। इसमें बहुत सारी बड़ी कंपनियां है जो पहले से ही बैंक करप्सी प्रोसिडिंग से जूझ रही हैं। वित्त मंत्रालय ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) को एक सलाह में उन मामलों की निगरानी पर विचार करने को कहा है, जिनमें राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के समक्ष व्यक्तिगत दिवालिया प्रक्रिया शुरू करने की जरूरत पड़ सकती है।
पिछले साल दिसंबर में लागू हो गया था नियम
26 अगस्त को सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रमुखों को भेजे गए एक लेटर के अनुसार वित्त मंत्रालय ने कहा कि दिवालिया एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (कॉरपोरेट कर्जदारों के व्यक्तिगत गारंटर के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया शुरू करने का नियम) पिछले साल दिसंबर से लागू हुआ। श्रृणदाताओं को इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड, 2016 के तहत नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल के समक्ष कॉरपोरेट देनदारों के लिए व्यक्तिगत गारंटरों के खिलाफ दिवालिया आवेदन दायर करने का अधिकार देता है।
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डेटा के लिए IT की ली जा सकती है मदद
गौरतलब है कि इस संबंध में, बैंक ऐसे मामलों की निगरानी के लिए एक मैकेनिज्म (तंत्र ) लाने पर विचार कर रही हैं, जिसके अंतर्गत कॉरपोरेट देनदार व्यक्तिगत गारंटरों के खिलाफ एनसीएलटी के समक्ष व्यक्तिगत दिवालिया प्रक्रिया शुरू कर करने की कार्रवाई कर सकते हैं। ऐसे सभी मामलों में कॉरपोरेट देनदारों को व्यक्तिगत गारंटरों से संबंधित डेटा हासिल करने और बैंक आवश्यक सूचना प्राप्त करने के लिए इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी (आईटी ) की मदद लेने पर भी विचार कर रही है।
अनिल अंबानी हुई थी पहली दिवालिया कार्रवाई
बता दें कि हाल में एनसीएलटी की मुंबई पीठ ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) को अनिल अंबानी के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया शुरू करने की अनुमति दी, जो 1,200 करोड़ रुपये की वसूली के मामले में व्यक्तिगत गारंटर हैं। यह शायद किसी व्यवसाय के प्रमुख के खिलाफ पहली दिवालिया कार्रवाई थी, जिन्होंने कर्ज लेने के लिए व्यक्तिगत गारंटी दी थी। हालांकि, दिल्ली उच्च न्यायालय ने एनसीएलटी के इस आदेश पर रोक लगा दी।